Saturday, July 17, 2010

मंजिलें अभी और भी हैं ...

मंजिलें अभी और भी हैं
2० जुलाई सन १९५० को उत्तर प्रदेश की पावन भूमि महुवर कला (जिला चंदौली ) में एक होनहार बालक ने जन्म लिया। उनका नाम लल्लन यानी लल्लन राम आधार तिवारी रखा गया । लल्लन तिवारी ने आगे चलकर संतों , महापुरुषों , और शूरवीरों की महान धरती महाराष्ट्र को पनी कर्मभूमि चुना। अथक परिश्रम , मेहनत , लगन, कुछ करने की तमन्ना और संघर्ष के थपेड़ों को चीरते हुए लल्लन तिवारी ने यहाँ केभायंदर क्षेत्र में अपनी सह्रदयता और सफलता की नई इबारत लिखी । सभी जाती, सभी धर्मों और सभी प्रांत के लोगों का सामान आदर करने वाले , सभी को सामान स्नेह देने वाले लल्लन तिवारी ने भवन निर्माण में भी विशिष्ट स्थान प्राप्त किया.गरीबों, शोषितों, पीड़ितों , असहायों , सर्व समाज के जरूरतमंद लोगों की हमेशा साहायता करने वाले लल्लन तिवारी का व्यक्तित्व इतना सादगी भरा है की जो कोई उनसे एक बार मिलता है , वो उनका होकर रह जाता है। अपार दौलत , शौहरत के बावजूद घमंड तो उन्हें छूकर भी नहीं गया है। साहित्य और समाज सेवा में रूचि रखने वाले लल्लन तिवारी ने हर घर में शिक्षा का दीप जलाने का सपना देखा। आर्थिक उन्नति और व्यावसायिक सफलता के बावजूद उनके मन में समाज की कुरीतियों, गरीबी और असमानता आदि बुराइयों को समाप्त करने की उधेड़बुन पनप रही थी। अज्ञानता के अन्धकार को दूर करने का एक ही उपाय था -ज्ञान का प्रकाश फैलाना । घर-घर शिक्षा के दीप जलाना । और इस तरह उन्होंने व्रत लिया की सबको शिक्षित करना है। अगर बच्चे शिक्षित होंगे तो उनको रोजगार तो मिलेगा ही साथ ही जीवन को सही तरीके से जीने का हुनर भी हासिल होगा । दृढ प्रतिज्ञाशील लल्लन तिवारी ने राहुल ग्रुप ऑफ़ स्कूल एंड कोलेजेस की स्थापना की। १९९० से शुरू ज्ञान की यह चिंगारी अब विशाल ज्वालामुखी का रूप द्गारण कर चुकी है । जिसकी छत्रछाया में अब २५ स्कूल /कोलेज सफलतापूर्वक कार्यरत हैं। इनमे २०,००० छात्र / छात्राएं विद्याध्ययन कर रहे हैं। सफ़र अभी जारी है, मंजिलें अभी और भी हैं। लल्लन तिवारी ने जो सपना देखा है, अभी वह पूरी तरह से पूरा नहीं हुआ है। वे देश भर से आग्यान्ता के अन्धकार को जड़ से मिटा देने के अभिलाषी हैं, उनके सपनों को पूरा करने में उनकी धर्मपत्नी , बहु और बेटे दिन रात समर्पित भाव से प्रयत्नशील हैं । शिक्षा के क्षेत्र में अब तक के लल्लन तिवारी के जादुई योगदान को शत -शत नमन।ये आंकड़े लिखने या पढने में जितने आसान नजर आते हैं , इन्हें जीवंत रूप देना उतना ही कठिन है। लल्लन तोवारी ने अगर यह असाधारण कार्य किया है तो वे निश्चित रूप से बधाई के पात्र हैं। उनका सपने पूरे हों, मिशन कामयाब हो, हर कदम पर सफलताएं कदम चूमें। दीर्घायु हों। यही शुभकामनाएं। संस्थापक दिवस पर राष्ट्रमाता और कविता की ये पंक्तियाँ समर्पित करते हुए मुझे अपार हर्ष और गौरव की अनुभूति हो रही है-

मिटेगा यह अज्ञानता का अन्धकार
जब होगा शिक्षा का प्रचार -प्रसार

लाचारी घटेगी ,बेकारी हटेगी
बेडी गुलामी की इससे कटेगी
इसीसे हटेंगे सितम अत्याचार

लल्लन जी रामआधार तिवारी
जों हैं शिक्षा के सच्चे पुजारी
स्शिक्षा ही उनके जीवन का आधार

ज्ञान की ये ज्योति यूँ ही जलती रहे
हर कदम पर सफलता मिलती रहे
मिलता रहे सबका आदर और प्यार
- किशोर मासूम

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